Sunday 6 June 2010

अशोक गुप्ता

सुराख
मेरी कमीज़ में एक सुराख है
मैं
जब उसे पहन कर
घर के बाहर निकलता हूँ,
मेरा कद
दोनों सिरों पर
तेज़ी से जलती मोमबत्ती की तरह
घटने लगता है
और
मैं टांक लेता हूँ उस सुराख पर
अपनी हथेलियों के पेवंद.

कुछ एक सुराख
मेरी बनियाइन में भी हैं.
मैं जब उसे उतार कर
घर की खूँटी पर टाँगता हूँ,
आर्थिक आंकड़ों का एक रेगिस्तान
मेरी आँख के आगे घूम जाता है
और
मैं झपट लेता हूँ अपनी मुठ्ठियों में
अपनी कमीज़ का
कोई एक कोना.

किसे पता है,
मेरे कलेजे मैं कितने सुराख हैं ?

सूरज रोज़ उगता है
रोज़ डूब जाता है,
और इस बीच मेरे कलेजे मैं
अनगिनत सुराख़
और बढ़ जाते हैं.

मुझे नहीं पता
कलेजा क्यों नहीं बदला जा सकता
कमीज़ की तरह
और
क्यों मेरी उंगलियाँ
मेरे कलेजे के सुराखों पर
पेवंद बनने से इनकार कर देती हैं ?
मेरे दिमाग में भी
एक सुराख है शायद....
-------------------------------------------------------------------------------
उस दिन..
उस दिन
टट्टू से,
पैदल
और नाव से
तय हुआ मेरा सफ़र
और तब जा कर मैं पहुँच पाया.

उस दिन
इंतज़ार भरी यात्रा में,
सुस्ताने में
चलते चलते पल भर ठहर कर,
और
असमंजस में
कट गया मेरा समय
और, तब जा कर मैं पहुँच पाया.

उस दिन
काजी से,
अपनी मां से
और इस उस से
मैं पूछता रहा अपने घर का पता
और
सुनता रहा बार बार
कि यहाँ कोई नहीं रहता
मेरे शहर मोहल्ले में
मेरे नाम पते का..

उस दिन कि शिनाख्त ?
यह तो
बहुत कठिन है दोस्त,
मैं
किस दिन तो उंगली रख कर
वह दिन कह दूँ..
------------------------------------------
पता
एक घर
धीरे धीरे खँडहर हो रहा है
भूचाल के बाद.

एक आदमी
काठ हो रहा है धीरे धीरे
बैठा हुआ कुर्सी पर,
हिसाब कर रहा है
ट्रक पर लदते हुए आलू के बोरों का.

एक सपना
फडफडा रहा है गोदाम में चमगादड़ की तरह
किसी की आंख में
उसकी जगह नहीं है.

पेड़ की कोटर से
निकल रहा है एक सांप
ओस से भीगी हुई दूब वाली ज़मीन पर
हर आदमी, हर घर,
उसे सबका पता मालूम है।


२९ जनवरी १९४७ को देहरादून में जन्म. अब तक सौ से अधिक कहानियां , अनेको कविताएँ दो कहानी संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं . बेनजीर भुट्टो की आत्मकथा daughter of east को हिंदी में अनुवाद .
संपर्क - बी - ११/४५ ,सेक्टर १८ ,रोहिणी , दिल्ली - 110089